पाकिस्तान को आईएमएफ द्वारा दिया गया ऋण – मई 2025 की स्थिति (हिंदी में)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को उसकी आर्थिक स्थिति सुधारने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मई 2025 में एक बड़ा वित्तीय सहायता पैकेज प्रदान किया है।
🔹 मुख्य बिंदु:
1. विस्तारित फंड सुविधा (Extended Fund Facility – EFF):
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सितंबर 2024 में IMF ने पाकिस्तान को 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद की मंजूरी दी थी।
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यह सहायता 37 महीने की अवधि के लिए है।
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इसका उद्देश्य पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और आर्थिक सुधार सुनिश्चित करना है।
2. ताजा किश्त (मई 2025):
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9 मई 2025 को IMF ने इस प्रोग्राम की पहली समीक्षा पूरी की।
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इसके तहत पाकिस्तान को तत्काल 1 बिलियन डॉलर की राशि प्राप्त हुई।
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अब तक पाकिस्तान को कुल 2.1 बिलियन डॉलर मिल चुके हैं।
3. जलवायु लचीलापन योजना (Resilience and Sustainability Facility – RSF):
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IMF ने पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता प्रदान की है।
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यह राशि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और सतत विकास परियोजनाओं से निपटने के लिए है।
🔹 आर्थिक पृष्ठभूमि:
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पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 131 बिलियन डॉलर से अधिक है।
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विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ तीन महीने के आयात को कवर करने लायक है।
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IMF की सहायता पाकिस्तान को भुगतान संतुलन में स्थिरता लाने और सुधार कार्यक्रम लागू करने में मदद कर रही है।
🔹 क्षेत्रीय विवाद:
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IMF की इस सहायता के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव भी चरम पर है।
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भारत ने IMF के इस फैसले पर आपत्ति जताई और वोटिंग में भाग नहीं लिया।
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भारत का कहना है कि यह धन पाकिस्तान द्वारा “गलत इस्तेमाल” किया जा सकता है।
🔹 आईएमएफ की शर्तें और सुधार कार्यक्रम:
आईएमएफ द्वारा दी गई किसी भी आर्थिक सहायता के साथ कुछ सख्त शर्तें जुड़ी होती हैं, जिनका उद्देश्य उस देश की आर्थिक नीतियों में सुधार लाना होता है। पाकिस्तान को यह ऋण निम्नलिखित शर्तों के तहत दिया गया है:
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राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Discipline):
सरकार को अनावश्यक खर्चों में कटौती करनी होगी और सब्सिडी पर नियंत्रण करना होगा। -
कर व्यवस्था में सुधार:
पाकिस्तान को टैक्स बेस बढ़ाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए टैक्स सुधारों को लागू करना होगा। -
मुद्रास्फीति नियंत्रण:
बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए कड़े मौद्रिक कदम उठाने होंगे, जैसे कि ब्याज दरें बढ़ाना। -
ऊर्जा क्षेत्र का पुनर्गठन:
ऊर्जा क्षेत्र में घाटा कम करने के लिए बिजली दरों में सुधार और लागत आधारित मूल्य निर्धारण को अपनाना आवश्यक है। -
रुपया विनिमय दर को बाजार आधारित बनाना:
IMF चाहता है कि पाकिस्तान की मुद्रा विनिमय दर कृत्रिम रूप से नियंत्रित न हो, बल्कि मांग और आपूर्ति के आधार पर तय हो।
🔹 जनता पर असर:
पाकिस्तान में आईएमएफ के इन सुधारों का मिश्रित प्रभाव देखने को मिल रहा है:
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📈 महंगाई बढ़ी है, जिससे आम नागरिकों पर बोझ बढ़ा है।
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⚡ बिजली और ईंधन की कीमतों में वृद्धि हुई है।
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🏥 सरकारी सब्सिडी में कटौती से गरीब वर्ग को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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हालांकि, लंबी अवधि में इन सुधारों से आर्थिक स्थिरता और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।
🔹 वैश्विक प्रतिक्रिया:
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आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान ने अब तक कार्यक्रम के तहत सकारात्मक प्रगति की है और उसे आवश्यक सहायता मिलती रहेगी।
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भारत ने इस सहायता पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सहायता पाकिस्तान द्वारा “आतंकवादी गतिविधियों” या “सीमावर्ती तनाव” में उपयोग हो सकती है। IMF ने भारत की आपत्ति को ध्यान में लेते हुए भी यह स्पष्ट किया कि सहायता का प्रयोग केवल आर्थिक सुधार के लिए होगा।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion):
IMF का ऋण पाकिस्तान के लिए एक दोधारी तलवार की तरह है। एक ओर यह आर्थिक संकट से राहत देने वाला है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े सुधार आम जनता के लिए कठिनाइयाँ पैदा कर सकते हैं। यदि पाकिस्तान इन शर्तों का ईमानदारी से पालन करता है और पारदर्शिता के साथ इसका उपयोग करता है, तो आने वाले वर्षों में यह देश आर्थिक रूप से सशक्त और स्थिर बन सकता है।