Sarkaritak.com : Sarkari Results, Latest Online Form … www.sarkaritak.com

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आधार—भारत निर्वाचन आयोग ll भारत के लोकतंत्र की शुचिता सुनिश्चित करने वाला निर्वाचन आयोग

 

निर्वाचन आयोग का परिचय

भारत में लोकतंत्र की नींव निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों पर टिकी है। इन चुनावों को पारदर्शी तरीके से संचालित करने की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग की होती है। यह एक संवैधानिक संस्थान है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य देश में लोकसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों को सुचारु, निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से करवाना है।


निर्वाचन आयोग की संरचना

शुरुआत में आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) होते थे, लेकिन बाद में इसमें दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्त जोड़े गए। आज आयोग एक तीन-सदस्यीय निकाय है — एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य आयुक्त। सभी आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनके कार्यकाल और पद की सुरक्षा संविधान द्वारा सुनिश्चित की गई है ताकि किसी प्रकार का दबाव उन पर न पड़े।


निर्वाचन आयोग की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारियाँ बहुत व्यापक हैं। इनमें मतदाता सूची का निर्माण और अपडेट करना, चुनावों की तारीखें घोषित करना, उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया की निगरानी करना, मतदान और मतगणना करवाना, तथा चुनाव परिणाम जारी करना शामिल है। इसके अलावा आयोग चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों, अनियमितताओं और धनबल—बल प्रयोग पर भी सख्ती से नजर रखता है।


आचार संहिता का प्रवर्तन

चुनाव के दौरान सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है आचार संहिता (Model Code of Conduct) का पालन करवाना। जैसे ही चुनाव की घोषणा होती है, आचार संहिता लागू हो जाती है। यह संहिता राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बताती है कि उन्हें चुनावी अवधि में किन कार्यों की अनुमति है और किनकी नहीं। निर्वाचन आयोग आचार संहिता के उल्लंघन पर नोटिस, चेतावनी या सख्त कार्रवाई कर सकता है।


मतदाता सूची (Voter List) तैयार करने का कार्य

निर्वाचन आयोग हर नागरिक को मतदान का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से मतदाता सूची को अपडेट करता है। 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी भारतीय नागरिक वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकता है। आयोग डिजिटल सुविधाओं के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण, एड्रेस अपडेट, डिलीशन और करेक्शन जैसी सेवाएँ भी प्रदान करता है।


ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग

भारत निर्वाचन आयोग चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज बनाने के लिए EVM (Electronic Voting Machine) और VVPAT (Voter Verified Paper Audit Trail) का उपयोग करता है। EVM के कारण मतदान प्रक्रिया तेज और त्रुटिरहित होती है, वहीं VVPAT मतदाता को पुष्टि देता है कि उसका वोट किस उम्मीदवार को गया है। आयोग समय-समय पर इन मशीनों की जांच और मॉक पोल करवाकर विश्वास बनाए रखता है।


राजनीतिक दलों का पंजीकरण और पहचान चिन्ह

राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन एवं उन्हें चुनाव चिन्ह (Symbol) आवंटित करना भी निर्वाचन आयोग का महत्वपूर्ण कार्य है। चुनाव चिन्हों का निर्धारण ‘इलेक्शन सिंबल्स ऑर्डर’ के अनुसार किया जाता है। चुनाव चिन्ह विशेष रूप से उन मतदाताओं के लिए आवश्यक होता है, जिनकी साक्षरता कम है और जो प्रतीकों के आधार पर उम्मीदवार का चयन करते हैं।


चुनावी खर्च पर नियंत्रण

उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में किए जाने वाले खर्च पर भी आयोग नजर रखता है। आयोग चुनावी खर्च की सीमा तय करता है और उम्मीदवारों को अपने खर्च का पूरा ब्योरा देना होता है। यदि कोई उम्मीदवार निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करता है या गलत जानकारी देता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।


निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदम

निर्वाचन आयोग कई उपायों के माध्यम से निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करता है, जैसे—

  • संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त सुरक्षा
  • वीडियो निगरानी
  • फ्लाइंग स्क्वॉड और स्टेटिक सर्विलांस टीमें
  • शराब/धन वितरण पर रोक
  • सोशल मीडिया की निगरानी

इन उपायों से चुनावों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहती है।


निष्कर्ष

भारत निर्वाचन आयोग देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है। इसकी निष्पक्षता, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा के कारण ही भारत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं। आयोग यह सुनिश्चित करता है कि हर नागरिक स्वतंत्र रूप से अपने मतदान अधिकार का उपयोग कर सके और देश में लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हों।

 

Leave a Comment