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ऑपरेशन सिंदूर : पूरा विवरण

ऑपरेशन सिंदूर : पूरा विवरण

परिचय
“ऑपरेशन सिंदूर” एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था जिसे भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ चलाया गया। यह ऑपरेशन अप्रैल 2024 में सुरनकोट सेक्टर (पुंछ जिला, जम्मू-कश्मीर) में किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य उस क्षेत्र में छिपे आतंकवादियों को ढूंढ निकालना और उन्हें निष्क्रिय करना था, जो सीमा पार से घुसपैठ कर भारत में अस्थिरता फैलाने के उद्देश्य से आए थे।


ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

पुंछ जिले का सुरनकोट इलाका लंबे समय से आतंकियों की घुसपैठ और छिपने के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है। अप्रैल 2024 की शुरुआत में खुफिया एजेंसियों को सूचना मिली कि कुछ आतंकवादी इस क्षेत्र के घने जंगलों में छिपे हुए हैं। यह भी आशंका थी कि वे किसी बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहे हैं। इसके बाद सेना ने एक व्यापक तलाशी अभियान चलाने का निर्णय लिया, जिसे नाम दिया गया “ऑपरेशन सिंदूर”


ऑपरेशन सिंदूर की प्रमुख घटनाएं

  1. तारीख और स्थान:
    ऑपरेशन की शुरुआत 20 अप्रैल 2024 को जम्मू-कश्मीर के सुरनकोट (पुंछ) जिले में की गई।

  2. सैन्य बलों की तैनाती:
    इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के पैरा कमांडो, राष्ट्रीय राइफल्स, और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टुकड़ियों ने हिस्सा लिया।

  3. मुठभेड़ और हताहत:
    ऑपरेशन के दौरान एक भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें चार आतंकवादी मारे गए।
    दुखद रूप से, इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के चार जवान भी शहीद हो गए, जिनमें कप्तान शशांक, हविलदार राहुल कुमार, सिपाही रोहित कुमार, और एक अन्य वीर जवान शामिल थे।

  4. घने जंगलों में तलाशी:
    आतंकवादी घने जंगलों और गुफाओं में छिपे हुए थे, जिन्हें ढूंढ़ निकालने के लिए ड्रोन, स्निफर डॉग्स और थर्मल इमेजिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया गया।

  5. स्थानीय नागरिकों की भूमिका:
    स्थानीय नागरिकों ने सेना को सहयोग दिया और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देकर ऑपरेशन में मदद की।


ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

  • घुसपैठ की योजना विफल:
    इस ऑपरेशन के जरिए एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया गया, जो आगामी चुनावों और अमरनाथ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों को निशाना बना सकते थे।

  • सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई:
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पुंछ और राजौरी क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने अपनी पकड़ और भी मज़बूत की और नियमित तलाशी अभियान चलाए।

  • मनौवैज्ञानिक प्रभाव:
    यह ऑपरेशन आतंकवादियों और उनके मददगारों के लिए एक स्पष्ट संदेश था कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं और किसी भी घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


शहीद जवानों को श्रद्धांजलि

इस ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को पूरे देश ने श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, और सेना प्रमुख ने इन शहीदों को “राष्ट्रीय हीरो” बताया और उनके परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।


निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकरोधी रणनीति का एक सफल उदाहरण है। यह न सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह ऑपरेशन हमें याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा में लगे हमारे जवान हर पल देश की रक्षा के लिए तत्पर हैं, चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़े।


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